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कहानी: मेरी प्यारी सलोनी (वो चिड़िया नहीं जिन्दगी थी मेरी)

मैं बाहर अपने बागान में सो रहा था क्योकि गर्मी बहुत थी और मुझे प्राकृतिक हवाओं में नींद अच्छी आती है सो चला आया सोने बगानों में, इस बार आम और लीची अच्छे लगे थे… देख कर मन गद्द-गद्द हो जाता है अभी सुबह होने में लगभग 2 घंटें बाकिं थे लेकिन मन में अजीब सी  बेचैनी हो रही थी लग रहा था आस पास कुछ न कुछ गलत हुआ है! मन एक दम सोने में नहीं लग रहा था उठ कर इधर उधर देखा कहीं कुछ नजर नहीं आ रहा था मै फिर सो गया….. कुछ छन बाद कानो में एक हलचल शोर सा सुनाई देने लगा आँख खोल कर सामने देखा तो मै दंग रह गया

एक बुलबुल का बच्चा बेसुध सा पड़ा था और 3-4 कौआ चोंच मार रहा था 5-6 कुतें भौक रहे थे जैसे लग रहा था कौआ और कुत्ता दोनों में कॉम्पीटिशन चल रहा है इस मासूम सी नन्ही जान को दावत के लिए उड़ा ले जाने को…!

मै कुछ भी सोचे बिना लाठी उठाई और बुलबुल के बच्चें के सामने दौड़ लगा दी मुझे देख कुत्तें और जोर-जोर से भौकने लगे इतना जूनून मेरे अन्दर कभी नहीं आया था किसी काम के प्रति, मै लाठी को चारो बगल भांजतें हुए कुत्तें को साइड किया और नन्ही सी जान उस बुलबुल के बच्चें को उठाया और घर की तरफ दौड़ लगा दी कुत्तें भी मेरे पीछे –पीछें दौड़ लगा दी मै झट से घर के अन्दर दाखिल हुआ तबतक मेरी पत्नी भी जग गई थी और वो बरामदें पर टहल रही थी

उसने मुझे जब देखा भागतें हुए घर में दाखिल होतें तो वो हड़बड़ा गयी और मेरे पीछे वो भी भागतें हुए चिल्लाए जा रही थी क्या हुआ मल्लिकार अरे ऐसा क्या हो गया मल्लिकार बताईये तो सही लेकिन मै कहाँ बोलने वाला था मुझे तो बस उस नन्ही सी जान की जान बचानी थी मै झट से फर्स्टऐड का डब्बा निकाला और उसके घायल अंगो पर पट्टी करने लगा मेरी पत्नी जब देखि एक बुलबुल के बच्चे को बाचने के लिए पुरे घर में सुबह सुबह शोर मचा दिया है तो वो दंग रह गयी क्योकि इस से पहले कभी कोई मेरा ये रूप नहीं देखा था शायद मै भी नहीं ..?

सलोनी को पट्टी कर अब मै उसे पानी पिलाने की कोसिस कर रहा था मै ने उस नन्ही सी जान का नाम सलोनी रखा था मै ने अपनी इतने साल की जिन्दगी में कभी इतना सुकून नहीं पाया था कोई काम कर के जितना मै सलोनी को बचा कर और उसे प्यार देकर सकून महसूस कर रहा था जैसे लग रहा था मै ने उसे नहीं बल्कि अपने आप को एक नया जीवन दिया है

सलोनी अब पूरी तरह ठीक हो चुकी थी वह खूब चहचहाती थी कभी फुदक के मेरे बेड पर बैठती तो कभी सोफे पर तो कभी कुर्सी पर एक जगह चैन से वह नहीं बैठ सकती थी अब तो वह मेरी पत्नी की भी प्यारी हो चुकी थी मै हर दिन अपने हाँथों से ही खाना खिलाता था क्योकि जब तक मै उसे खाना न खिलाऊ तब तक तो खाना को छूती तक नहीं साहबजादी का तो अब खाना में भी नखरा जब तक उसे काजू और चना न दू खाना को छूती तक नहीं थी.

सलोनी अब मेरी बेटी से भी बढ़ कर हो गई थी तो जाहिर सी बात है उसे पिंजरे में नहीं रखूँगा लेकिन हर हमेसा भय लगा रहता था की कहीं कोई मनहूस जानवर की नजर न लग जाए.. सो मै जहाँ भी जाता साथ ले जाता सोते वक़्त अपने साथ ही सुलाता नित्य कर्म को छोड़ कर हर एक्टिविटी में मैं उसे साथ रखता था मनो मेरी जान उसमे बसती हो.

आज पता नहीं सलोनी कुछ अजीब सी बर्ताव कर रही थी न तो वह पहले की तरह चहचहा रही थी और न ही इधर उधर कूद रही थी मै बहुत परेशान हो रहा था खाना दिया तो उसे वो देखि तक नहीं एक कोने में जा कर दुबक गई कुछ समझ नहीं आ रहा था अचानक उस में ऐसा बर्ताव कैसे? मै ने बर्ड्स डॉक्टर को दिखाने को सोचा और चल दिया डॉक्टर के पास.

सलोनी को अपने दोनों हांथो से उठा कर कंधे पर रखा और जा कर अपने जीप में बैठ गया और ड्राइवर से बोला जल्दी ले चलो जी साहब !

कुछ ही घंटो में मेरी जीप अब डॉक्टर के क्लिनिक के आगे खड़ी थी मै जीप से उतरा और सलोनी को भी हथेली पर रख कर जैसे ही कुछ दूर आगे बढ़ा सलोनी मेरी हथेली से उड़ कर क्लिनिक के छत पर जा बैठी मै उसे बुलाता रहा लेकिन वो तो हवाओं की सैर कर रही थी 10 मिनट तक खूब चहचहाई  हवाओं में खूब सैर की और पुनः आकर मेरे कंधे पर बैठ गई. मैंने अपनी हथेली आगे की तो वो आकर मेरी हथेली पर बैठ गई. मुझे लगा ये मुझे परेशान करने के लिए नाटक कर रही थी

और मै पुनः अपने जीप की ओर मुड़ गई लेकिन ये क्या जीप तक पहुचते-पहुचते सलोनी मेरी हथेली पर लुढ़क गई थी मै पागल हो गया था ये क्या हो रहा है मै बदहवास सा क्लिनिक की ओर भागा और डॉक्टर-डॉक्टर चिल्लाए जा रहा था सब मुझे ही देख रहे थे डॉक्टर भी मुझे ऐसे देख कर दंग रह गए क्या हुआ मिस्टर आप इतना घबराए हुए क्यों है डॉक्टर आप मेरी सलोनी को देखिये न उसे क्या हो गया कुछ बोल नहीं रही है अभी अभी तो खूब खेली है आपके क्लिनिक के आगे डॉक्टर मेरी सलोनी को कुछ नहीं होनी चाहिए ओके ओके मै देखता हूँ.

डॉक्टर ने सलोनी को अपने हांथो में लिया और कुछ चेक करने लगा और फिर सलोनी को मेरी ओर बढ़ा दिया क्या हुआ डॉक्टर इसे मेरी ओर क्यों बढ़ा रहे है यह मर चुकी है आप ने आने में देर कर दी क्या जी हाँ  इसकी हालत देख कर लग रहा है ये स्वीट पाइजन खाई है या किसी ने खिलाई है. ऐसा नहीं हो सकता डॉक्टर ये हर हमेसा मेरे पास ही रहती थी मै अपने जान से भी ज्यादा इसे प्यार करता था. एक छन के लिए भी इसे अकेले नहीं छोड़ता था. मै बच्चों की तरह बिलख बिलख कर वहां रो रहा था. लोग मुझे ढ़ान्ढ़स कम और काना-फूसी ज्यादा कर रहे थे की इतना तो लोग किसी आदमी के मरने पर भी नहीं रोता जितना नाटक ये कर रहा है.

ड्राइवर ने मुझे और सलोनी को लोगो से मदद ले कर गाड़ी में डाला और घर की ओर चल दी मै बेहोस हो चूका था रोते रोते जब मुझे होस आया मै घर के अन्दर था मेरी पत्नी भी घर आ गई थी सब लोग सलोनी के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे. लेकिन मेरे मन में बस एक ही सवाल चल रहा था आखिर सलोनी को स्वीट पॉइजन किसने दी जिसने भी दी उसे मै नहीं छोडूंगा

सलोनी की अंतिम संस्कार हो चुकी थी लेकिन मै बस उसी सवाल का जवाब ढूंढने में अपने दिमाग के अन्दर हलचल मचा रखा था की मुझे ध्यान आया मेरी पत्नी सलोनी के बीमार होने के सुबह चाय बड़े प्यार से पिलाया था जबकि वो सलोनी से प्यार तो करती थी लेकिन इतनी भी नहीं जितना वो उस वक्त जता रही थी और फिर चाय पिलाकर वो बोली मेरी एक दोस्त बहुत दिनों बाद USA से आई हुई है मै उससे मिलने जा रही हूँ रात हो जायेगा और फिर 3-4 घंटे बाद सलोनी की तबियत ख़राब होने लगी लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया इतना मुर्ख कैसे हो सकता हूँ मै…!!! जिस सलोनी को मै ने बचाया था उसे नया जीवन दिया था उसके मरने का कारन भी मै ही बना नहीं ये नहीं हो सकता नहीं नहीं नहीं !!!!

तू ने मारा है न मेरी सलोनी को बता मुझे सब पता चल गया है बता नहीं तो आज तू या मै दोनों में से एक ही इस धर में रहेगा हाँ मैंने ही मारा है तो क्या मल्लिकार आप दिन भर उसी के पीछे लगे रहतें थे घर में और भी लोग है की नहीं ? कौन है ?? और लोग मै हूँ !! तो क्या मै ने तुझे प्यार नहीं किया किया ?? लेकिन उस सलोनी से कम मल्लिकार आप ने चिड़िया नहीं मेरी सौतन उठा कर लाये थे. बस कर चट चट धूम धड़ाक लात घुसे थप्पड़ मै अपनी पत्नी के ऊपर बरसाने लगा. रोते हुए मल्लिकार उस उस भिटाई भर के चिड़िया के लिए मुझ पर हाथ उठा दिए..!!

उस घटना के बाद मै ने अपनी पत्नी से तलाक ले लिया अब मै अकेला तन्हा सलोनी के यादों में बस इस बड़े से घर में रहता हूँ जब भी कोई बुलबुल मुंडेर पर चहचहाती है दौड़ कर उसे देखने आता हूँ और सलोनी को याद कर खूब रोता हूँ.

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