अगर बात फ़िल्मों की खलनायक की हो और अमरीश पुरी का नाम ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता. अमरीश पुरी मतलब वो नाम जिसने बच्चे-बच्चों के दिमाग पर अपनी दमदार आवाज़ और अभिनय की वजह से भय छोड़ गया.
आज फ़िल्म प्रेमियों के लिए खौफजादा अमरीश पुरी का जन्मदिन है इसीलिए उनके बारे में कुछ कही अनकही बातें जानकर उनका जन्मदिन सेलिब्रेट करें…
अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को नवांशहर (जलंधर, पंजाब) में हुआ और इनका पूरा नाम ‘अमरीश लाल पुरी’ था.
पुरी को उस ज़माने के जाने माने अभिनेता मदन पुरी के छोटे भाई होने के वाबजूद भी काफ़ी स्ट्रगल करना पड़ा उनको शुरुआत के दिनों में एक इंश्योरेंस कंपनी के साथ-साथ मिनिस्ट्री ऑफ लेबर में भी काम करना पड़ा, फिर वो थियेटर में चरित्र किरदार निभाने लगे लगभग 40 साल के उम्र तक अमरीश पूरी थियेटर में ही अभिनय करते रहे क्योंकि जब इन्होंने फ़िल्मों में काम करने के लिए ऑडीशन दिए थे तो इन्हे स्क्रीन टेस्ट में ही बाहर कर दिया गया था.
40 साल के उम्र में फ़िल्म ‘रेशमा और शेरा’ से जब अमरीश पूरी ने बॉलीवुड में डेब्यू किया तो फिर पीछे मुड़ कर कभी नहीं देखा और लगातार 400 से भी ज्यादा फ़िल्मों में अपनी दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल पर अपनी छाप छोड़ गए.
शेखर कपूर की फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में अमरीश पूरी के निभाए गए विलेन किरदार ‘मोगैम्बो’ ने दर्शकों के दिल पे इतनी गहरी छाप छोरी की इन्हे ‘मोगैम्बो’ के नाम से ही जाना -जाने लगा अमरीश पुरी को विदेशों में भी लोग अलग नाम से ही जानते है.
उन्होंने 1984 में स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘इंडिआना जोंस एंड द टेम्पल ऑफ डूम’ में मोला राम का किरदार निभाया और विदेशों में हो गए मोला राम के नाम से फेमस, दरअसल इस फ़िल्म के पीछे भी एक कहानी है जब स्टीवन स्पीलबर्ग ने अमरीश पूरी को अपने फ़िल्म जोंस एंड द टेम्पल ऑफ डूम के आडीसन के लिए बुलाया तो पुरी साहब ने साफ मना कर दिया और कहा अगर स्टीवन स्पीलबर्ग अपने फ़िल्म में मुझे लेना चाहतें है तो उन्हें खुद इंडिया आना पड़ेगा और फिर स्टीवन स्पीलबर्ग अमरीश पुरी का आडीसन लेने इंडिया आए और फिर विदेशों में मोला राम के नाम से फेमस हो गए.
और हाँ… आप को ये भी शायद ही पता हो की अमरीश पुरी अपनी बाल सेव करवा के क्यों रखतें थे, दरअसल बात ये थी की फिल्म ‘इंडिआना जोंस एंड द टेम्पल ऑफ डूम’ के लिए अमरीश पूरी ने बाल सेव करवाए थे और लोगो को उनका ये किरदार काफी पसंद आया तब से वो अपनी बालो को सेव करके ही रखने लगे.
मज़े की बात तो ये है की आप अमरीश पूरी को बाबु जी, ताया जी, फूफा जी, मौसा जी, मामा जी या किसी भी किरदार में देख लो सब आप को हुक्म चलाते हुए और डराते धमकाते ही दिखेंगे और इस से हमारा माइंड सेट हो जाता है की ये आदमी ऐसा ही होगा और ऐसा हुआ भी, बात दरअसल अमरीश पूरी के बेटे राजीव पूरी के दोस्तों की है जब राजीव के दोस्त राजीव से मिलने कभी कभी अमरीश पूरी के घर पे आते थे तो वो अमरीश पुरी को देख कर सहम जाते थे और डर के मारे छुप जाते थे लेकिन जब अमरीश पुरी को पता चला तो वो अपने बेटे राजीव के दोस्तों से जबरदस्ती मिलने लगे और तब जा कर राजीव के दोस्त समझ पाए की अमरीश पुरी साहब फ़िल्मों में जितने कठोर है रियल लाइफ में उतने ही नरम दिल इंसान.
400 से भी अधिक फ़िल्मों में काम करने वाले खलनायक अमरीश पुरी के कुछ ऐसे फ़िल्म जिसने उन्हें नई ऊँचाई दी
1995 दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, 1997 कोयला, 1996 दिलजले, 1987 मिस्टर इंडिया, 1984 ‘इंडिआना जोंस एंड द टेम्पल ऑफ डूम, 1996 जान, 1997 परदेश, 1992 तहलका, 2001 ग़दर एक प्रेम कथा, 2001 नायक, 1995 करण अर्जुन, 1995 गुंडाराज, 1994 एलान
पूरी साहब को वैसे तो उतने अवार्ड नहीं मिले जितना की उन्हें दर्शको का प्यार मिला
फिल्मफेयर पुरस्कार – सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता
1986 मेरी जंग, 1997 घातक: लीथल , 1998 विरासत
बॉलीवुड फ़िल्म पुरस्कार – – सर्वश्रेष्ठ खलनायक
2002 ग़दर एक प्रेम कथा
स्टार स्क्रीन सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार
1997 घातक: लीथल , 1998 विरासत
तथा 1979 में उन्हें रंगमंच अभिनय के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया
जाते जाते एक और अनकही बात, अमरीश पूरी जी को टोपी बहुत पसंद थी वो विदेशों से अपने लिए तरह-तरह के टोपी मंगवाया करते थे और जहाँ कहीं भी उन्हें अच्छी टोपी दिख जाती वो खरीद लिया करते थे आज भी अमरीश पूरी के घर में टोपियों का संग्रह दिख जायेगा आपको.
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